जीवन में भरपूर सुख और सफलता की प्राप्ति हर मनुष्य का एक सपना होता है। लेकिन सुख-दुख, गम-खुशी, अमीरी-गरीबी तथा रोग एवं स्वास्थ्य आदि कालचक्र के ऎसे धुरे हैं, जो जीवन के चलने के साथ-साथ ही चलते हैं. दुनिया में हर इन्सान किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है , जिनमें से एक होती है--व्यक्ति सम्बंधी समस्या जैसे अपने बारे में/अपनी पत्नि/संतान के बारे में,संतान होने या न होने इत्यादि के बारे में, दूसरी स्थान सम्बंधी मसलन किसी स्थान विशेष जैसे जमीन, जायदाद, मकान, व्यवसाय, नौकरी आदि की समस्या और तीसरी धातु अर्थात धन सम्बंधी समस्या. जीवन में आने वाली इन समस्यायों हेतु प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने तरीके से उपाय भी करता है, जिससे कि जीवन को सुखपूर्वक भोगा जा सके.
यहाँ हम आपको आपके जन्म लग्नानुसार कुछ ऎसे ही उपायों की जानकारी दे रहे हैं, जिससे कि आप भी अपनी विभिन्न समस्यायों से सरलतापूर्वक एवं शीघ्रता से निजात पा सकते हैं.
आर्थिक समस्या निवारण हेतु:-
यदि आप आजीविका के क्षेत्र में बारबार अवरोध अनुभव कर रहे हैं, कार्यक्षेत्र में अधिकारी वर्ग से सम्बंधों में बिगाड उत्पन्न हो रहा हो अथवा पिता से तनावपूर्व स्थितियों का सामना करना पड रहा हो, तो इसके निवारणार्थ किसी भी द्वितीया/सप्तमी/द्वादशी तिथि से आरंभ कर नियमित रूप से सवा माह लगातार भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख ग्यारह जपा कुसुम( अडहुल/ Chinese Rose) के पुष्प चढाकर श्री रूद्राष्टाध्यायी का पाठ करें.
इसके अतिरिक्त घर अथवा कार्यस्थल की उतर-पश्चिम दिशा में सफेद पुष्पों के पौधे लगायें एवं संभव हो तो संयुक्त परिवार में ही निवास करें.
यदि जन्मकुंडली में बृहस्पति नीच अथवा कुंभ राशि में न हो तो सवा 5 रत्ती वजन का पुखराज रत्न भी स्वर्ण धातु में धारण कर सकते है.
केवलमात्र सिर्फ इस एक उपाय के करने से ही आप देखेंगें कि जहाँ एक ओर आपकी आमदनी के स्त्रोत खुलने लगे हैं, वहीं सामाजिक संबंधों में भी मधुरता की अभिवृद्धि होने लगी है.
भाग्योन्नति हेतु:-
यदि आपको भाग्योन्नति में बार-बार अवरोध कि स्थितियों का सामना करना पड रहा है, अथवा आपका प्रत्येक कार्य सफलता के समीप आकर रूक जाता हो, तो उसके लिए आप ये एक कार्य कीजिए, कि सर्वप्रथम स्वर्णमंडित गौरीशंकर रूद्राक्ष अथवा स्वर्ण की बनी शंखाकृति गले में धारण करें.
तत्पश्चात नित्य प्रात: स्नानादि पश्चात किसी पात्र में जल भरकर अपने सम्मुख रखें और निम्न मन्त्रोच्चारण पश्चात उस जल को किसी पीपल के वृक्ष को अर्पित कर दें .
ॐ रां अग्नये तेजाधिपतये नमः।
ॐ यां यमाय प्रेताधिपतये नमः ।
ॐ क्षां निऋत्ये रक्षोधिपतये नमः ।
ॐ वां वरुणाय जलाधिपतये नमः ।
ॐ यां वायवे प्राणाधिपतये नमः ।
ॐ सां सोमाय ताराधिपतये नमः ।
ॐ हां ईशानाय गणाधिपतये नमः ।
ॐ आं ब्रह्मणे प्रजाधिपतये नमः ।
ॐ ह्रीं अनन्ताय नागाधिपतये नमः
केवलमात्र इसी उपाय के करने से आप देखेंगें कि शनै: शनै: आपके भाग्य के समस्त अवरोध मिटकर जीवन में एक नई उर्जा, शान्ति एवं स्थायी सुख-समृद्धि का समावेश होने लगा हैं.
सम्पत्ति, वाहन सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप जमीन-जायदाद, नजदीकी सगे सम्बन्धियों अथवा वाहन सम्बंधी किसी प्रकार की कोई समस्या/कष्ट का सामना कर रहे हैं, तो इसके लिए कम से कम 12 रविवार लगातार उपवास रखें और सूर्योदय से मध्यांह की अवधि के बीच में किसी निर्धन व्यक्ति को सवा किलो गेहूँ का दलिया दान करें.
इसके साथ ही शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को श्वेत वस्त्र में सफेद आक के 5 फूल, दो त्रिमुखी रूद्राक्ष, चावल और पारद शिवलिंग बाँधकर घर के पूजास्थल में स्थापित करें एवं नित्य प्रात: श्री सूर्य गायत्री " ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात " का जाप किया करें.
यदि आप विधिपूर्वक उपरोक्त उपाय को सम्पन्न कर सकें तो समझिए कि आप सम्पत्ति,वाहन अथवा सामाजिक व्यवहार एवं य़श-मान सम्बन्धी बहुत सी समस्यायों से बेहद आसानी से मुक्ति पा सकेंगें.
सुरूचिपूर्ण जीवन हेतु:-
यदि आप जीवन में बार-बार परेशानी एवं दैनिक कार्यों में व्यवधान अनुभव कर रहे हों, तो आपको प्रतिदिन सुबह अपने इष्टदेव के सम्मुख गाय के शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाते रहना चाहिए.
यदि आपकी जन्मकुंडली में चन्द्रमा नीच राशि में स्थित न हो तो आप सवा 7 रत्ती का चन्द्रकान्त मणि (Moon Stone ) दाहिने हाथ की अनामिका (Ring Finger) अंगुली में धारण कर सकते हैं अन्यथा शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन एक द्विमुखी रूद्राक्ष गले में धारंण करें.
इसके साथ ही नियमपूर्वक प्रत्येक रविवार भगवान भुवनभास्कर का स्मरण कर थोडा कच्चा दूध और गुड किसी धार्मिक स्थल अथवा किसी निर्धन व्यक्ति को दान करते रहें, तो इन उपायों से जहाँ एक ओर आपका जीवन सुगम होगा, वहीं आपको जीवन में अनायास उत्पन हो रही कईं प्रकार की परेशानियों एवं बाधाओं से भी सहज रूप में ही मुक्ति मिलने लगेगी.
पारिवारिक कलह मुक्ति एवं दाम्पत्य सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप दाम्पत्य जीवन में व्यवधान यथा पति-पत्नि में विवाद, वैचारिक मतभेद, अशान्ती जन्य किन्ही कष्टों का सामना कर रहे हैं तो उसकी निवृति एवं आपसी सामंजस्य की अभिवृद्धि हेतु आपको नियमित रूप से रात को सोने से पूर्व बिस्तर पर बैठकर ही 12 बार " नमोस्तु पुष्पबाणाय जगदानन्द कारिणे ! मन्मथाय जगन्नेत्र रतिप्रीतिप्रदायिने !! " मन्त्र का जाप करते रहना चाहिए.
न्यूनतम 40 दिन लगातार केसर मिश्रित नारियल जल द्वारा में भगवान शिव का अभिषेक करें.
इसके अतिरिक्त यदाकदा 9 वर्ष से कम उम्र की कन्यायों को मिष्ठान्न खिलाते रहें तो समझिए कि अब आपके दाम्पत्य जीवन में परस्पर प्रेम, माधुर्य एवं शान्ती का समावेश होने लगा है.
* एक बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें कि अपना श्यनकक्ष ( Bedroom ) कभी भूलकर भी घर के वायव्य कोण अर्थात उत्तर-पश्चिम (North-West) दिशा में न बनायें अन्यथा दम्पत्ति में आपसी सामंजस्य का अभाव सदैव बना ही रहेगा.
भय, मानसिक तनाव एवं ऋण से मुक्ति हेतु:-
यदि आप किसी वजह से मानसिक तनाव में रहते हैं अथवा किसी अज्ञात भय से पीडित हैं, अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं या फिर कहीं ऋण के बोझ से पीडित हैं तो उसके लिए सर्वप्रथम कम से कम 8 शुक्रवार लगातार किसी धार्मिक स्थल पर सवा 2 मीटर जामुनी रंग का कपडा और 250 ग्राम पंचमेवा चढायें. साथ ही वर्ष में कम से कम 2 बार अर्थात हर छ: माह की अवधि पश्चात किसी भिखारी को अपना पुराना वस्त्र अवश्य दान किया करें.
अपने भवन की दक्षिण दिशा की दीवार पर लाल रंग के पेंट द्वारा "कलश" का एक चित्र बनवायें अथवा इस दिशा में छत पर कलश की आकृति युक्त एक लाल रंग का तिकोणा ध्वज लगायें.
प्रत्येक मंगलवार भगवान गणपति जी के सम्मुख तिलों के तेल का दीपक प्रज्जवल्लित कर उन्हे मीठे पान का भोग लगाया करें.
इन साधारण से उपायों से एक ओर जहाँ आप मानसिक तनाव/भय/दबाव/चिन्ता इत्यादि से मुक्त हो पायेंगें, वहीं आपकी आय में वृद्धि के साथ ही ऋण से मुक्त होने की परिस्थितियाँ भी निर्मित होने लगेंगीं.