Tuesday, 23 June 2015

वृश्चिक लग्न और कष्ट निवारक उपाय


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जीवन में भरपूर सुख और सफलता की प्राप्ति हर मनुष्य का एक सपना होता है। लेकिन सुख-दुख, गम-खुशी, अमीरी-गरीबी तथा रोग एवं स्वास्थ्य आदि कालचक्र के ऎसे धुरे हैं, जो जीवन के चलने के साथ-साथ ही चलते हैं. दुनिया में हरेक इन्सान किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है , जिनमें से एक होती है--व्यक्ति सम्बंधी समस्या जैसे अपने बारे में/अपनी पत्नि/संतान के बारे में,संतान होने या न होने इत्यादि के बारे में, दूसरी स्थान सम्बंधी मसलन किसी स्थान विशेष जैसे जमीन, जायदाद, मकान, व्यवसाय, नौकरी आदि की समस्या और तीसरी धातु अर्थात धन सम्बंधी समस्या. जीवन में आने वाली इन समस्यायों हेतु प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने तरीके से उपाय भी करता है, जिससे कि जीवन को सुखपूर्वक भोगा जा सके. यहाँ हम आपको आपके जन्म लग्नानुसार कुछ ऎसे ही उपायों की जानकारी दे रहे हैं, जिससे कि आप भी अपनी विभिन्न समस्यायों से सरलतापूर्वक एवं शीघ्रता से निजात पा सकते हैं. 


आर्थिक समस्या निवारण हेतु:-

यदि आप आजीविका के क्षेत्र में बारबार अवरोध अनुभव कर रहे हैं, कार्यक्षेत्र में अधिकारी वर्ग से सम्बंधों में बिगाड उत्पन्न हो रहा हो अथवा पिता से तनावपूर्व स्थितियों का सामना करना पड रहा हो, तो इसके लिए सर्वप्रथम इस बात को विशेष तौर पर स्मरण रखें कि अपनी अथवा किसी अन्य की गलतियों और परेशानियों का अधिक बखान न करें अन्यथा आपको जीवन में बारबार आर्थिक समस्यायों का सामना करना पडता ही रहेगा और आप लाख प्रयत्न करने के पश्चात भी कभी पूर्णत: इस कष्ट से मुक्त नहीं हो पायेंगें.

अपनी आजीविका क्षेत्र में उत्पन अवरोध को समाप्त करने हेतु आप नियमित रूप से 16 बुधवार लगातार पान के पत्ते में 1 कौडी, 2 लौंग और चुटकी भर सिन्दूर लपेटकर दोपहर पश्चात किसी नदी/नहर/समुद्र आदि में विसर्जित करें. नित्य संध्या समय श्री बटुक भैरव स्त्रोत्र का पाठ अवश्य किया करें.

यदि आर्थिक परेशानी का सामना करना पड रहा है, बारबार धनहानि हो रही है, व्ययाधिक्य से परेशान हैं अथवा आप ऋण की समस्या से पीडित हैं तो उसकी निवृति के लिए काले पत्थर की दो वृषभ ( शिव वाहन नन्दी) प्रतिमा खरीदकर एक को भवन की ईशान दिशा में और दूसरी प्रतिमा घर के मुख्य प्रवेशद्वार के बाहरी ओर स्थापित करें. प्रत्येक बृहस्पतिवार (न्यूनतम 12 सप्ताह अवश्य) किसी वृषभ को गुड खिलाया करें एवं नित्य प्रात: पूर्वाभिमुख हो ॐ श्रीवत्सलाय वत्सराजाय नम: मन्त्र का जप किया करें.
अपने जीवन कल्याणार्थ आपको छ:मुखी रूद्राक्ष धारण करना भी उत्तम फलदायक सिद्ध होगा. पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक उपरोक्त उपाय को करें तो आप देखेंगें कि जहाँ आपकी आमदनी के स्त्रोत खुलने लगे हैं, वहीं पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों में भी मधुरता की अभिवृद्धि होने लगी है.


सम्पत्ति, वाहन सुख प्राप्ति हेतु:-

यदि आप जमीन-जायदाद, नजदीकी सगे सम्बन्धियों, बन्धु-बांधवों से आपसी सम्बन्धों को लेकर अथवा वाहन सम्बंधी किसी प्रकार की कोई समस्या/कष्ट का सामना कर रहे हैं, तो इसके लिए सर्वप्रथम शुक्ल पक्ष के किसी भी शनिवार के दिन अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर अपनी कनिष्ठका अंगुली के बराबर साईज की चाँदी की एक-एक कील ठोक दें. तत्पश्चात सर्वप्रथम चाँदी में मंडवाकर गले में एक द्वादशमुखी रूद्राक्ष धारण करें एवं प्रत्येक मंगलवार किसी भिखारी को यथासामर्थ्य काले तिल और चावल का दान अवश्य करते रहें. इस उपाय को यदि आप नियमित रूप से श्रद्धा एवं विश्वास पूर्वक कम से कम छ माह की अवधि तक कर सकें तो आपको अपनी इन उपरोक्त सभी समस्यायों का समाधान अपने सामने दिखाई देने लगेगा.

भाग्योन्नति हेतु:-

यदि आपको भाग्योन्नति में बार-बार अवरोध कि स्थितियों का सामना करना पड रहा है, अथवा आपका प्रत्येक कार्य सफलता के समीप आकर रूक जाता हो, तो उसके लिए सर्वप्रथम किसी गुरू से दीक्षा ग्रहण करें अथवा एक बार गंगास्नान कर के आयें, तत्पश्चात शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को स्वर्ण निर्मित एक ध्वज गले में धारण करें एवं प्रत्येक शनिवार निम्न मन्त्र का 12 बार उच्चारण करते हुए लोहे के किसी पात्र में तिल का तेल भरकर और उसमें अपनी छाया देखकर भड्डरी को दान करते रहें अथवा पीपलवृक्ष के नीचे रख आयें.

ॐ तिलैस्तु निर्मितं तेलं गुह्यन्धकार निवारणम !
सर्वपाप विनिर्मुक्तं तैलं दानेन केशव !!

आप देखेंगें कि शनै: शनै: आपके भाग्य के समस्त अवरोध हटकर जीवन में शान्ति एवं समृद्धि का समावेश होने लगा हैं.

शारीरिक एवं मानसिक कष्ट निवारणार्थ हेतु:-

यदि आप किसी भी प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक आधि-व्याधी से परेशान हैं, रोग-बीमारी पर अधिक धन खर्च हो रहा है अथवा शत्रु पक्ष की प्रबलता बनी रहती है, तो आपको अपने जीवन कल्याणार्थ नित्य प्रति निम्न मन्त्र का जप अवश्य करना चाहिए.

ॐ शरणागतदीनार्त परित्राणपरायणे
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तुते ॐ !!


ताबें के किसी पात्र द्वारा जल में रक्त चन्दन, सफेद तिल, जटामाँसी और शहद मिश्रित कर नित्य प्रति भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देते रहें एवं एक पंचमुखी और एक दशमुखी रूद्राक्ष एक साथ शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन गले में धारण करें. 
 
इस उपाय से जहाँ एक ओर आप शारीरिक एवं मानसिक रोग-व्याधि एवं शत्रु पीडा से निजात पा सकेंगें, वहीं आपको जीवन में यदाकदा अनायास उत्पन होने वाली कईं अन्य प्रकार की परेशानियों एवं बाधाओं से भी सहज ही मुक्ति मिलने लगेगी.

दाम्पत्य सुख हेतु:-

यदि आप दाम्पत्य जीवन में व्यवधान यथा पति-पत्नि में विवाद, वैचारिक मतभेद, अशान्ती जन्य किन्ही कष्टों का सामना कर रहे हैं तो उसकी निवृति एवं आपसी सामंजस्य की अभिवृद्धि हेतु आपको सर्वप्रथम किसी मन्दिर में कांसे के पात्र का दान करना चाहिए. नित्य संध्या समय घर के पूजास्थल पर गौघृत का एक दीपक अवश्य जलाना चाहिए. अपने घर के उत्तर-पश्चिम कोण में किसी सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में 2 चाँदी के सिक्के, 2 सुच्चे मोती (White Pearl) एवं 1 द्वादशमुखी रूद्राक्ष डालकर हमेशा के लिए रख छोडें. 

भय, मानसिक तनाव से मुक्ति हेतु:-

यदि आप किसी वजह से मानसिक तनाव में रहते हैं अथवा किसी अज्ञात भय से पीडित हैं, अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं तो उसके लिए सर्वप्रथम एक बात का ध्यान रखें कि अपने घर के पूजास्थल को कदापि परिवर्तित न करें. भवन की छत पर पक्षियों के लिए पानी पीने का पात्र रखें एवं कम से कम 12 बुधवार किसी मिट्टी के पात्र में मूँग भरकर मन्दिर में अर्पित करें. साथ ही अपने जीवन कल्याणार्थ नित्य प्रात: ॐ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ! भयभ्यस्त्राहि नो दुर्गा देवि नमोस्तु ते !! मन्त्र का जप अवश्य किया करें.

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