Thursday, 30 July 2015

नहाने के पानी का ये प्राचीन उपाय करने से दूर हो सकती है दरिद्रता


नहाने से स्वास्थ्य लाभ और पवित्रता मिलती है। सभी प्रकार के पूजन कर्म आदि नहाने के बाद ही किए जाते हैं, इस कारण स्नान का काफी अधिक महत्व है। पुराने समय में सभी ऋषि-मुनि नदी में नहाते समय सूर्य को जल अर्पित करते थे और मंत्रों का जप करते थे। इस प्रकार के उपायों से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं।

Nahane ke pani ka ye upay dur kar sakta hai daridrta

ज्योतिष में धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जो अलग-अलग समय पर किए जाते हैं। नहाते समय करने के लिए एक उपाय बताया गया है। इस उपाय को सही विधि से हर रोज किया जाए तो निकट भविष्य में सकारात्मक फल प्राप्त हो सकते हैं।

जानिए उपाय की विधि...

प्रतिदिन नहाने से पहले बाल्टी में पानी भरें और इसके बाद अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) से पानी पर त्रिभुज का चिह्न बनाएं।

त्रिभुज बनाने के बाद एक अक्षर का बीज मंत्र ‘ह्रीं’ उसी चिह्न के बीच वाले स्थान पर लिखें। साथ ही, अपने इष्ट देवी-देवता से परेशानियों दूर करने की प्रार्थना करें।

हर रोज नहाने से पहले यह उपाय करें। इस उपाय के संबंध में किसी प्रकार की शंका या संदेह नहीं करना चाहिए। आस्था और विश्वास के साथ उपाय करेंगे तो सकारात्मक फल प्राप्त हो सकते हैं। साथ ही, इस उपाय की चर्चा भी किसी से नहीं करना चाहिए। अन्यथा उपाय का प्रभाव निष्फल हो जाता है।

नहाते समय करें मंत्रों का जप
शास्त्रों में दिन के सभी आवश्यक कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। नहाते समय भी हमें मंत्र जप करना चाहिए। स्नान करते समय किसी मंत्र का पाठ किया जा सकता है या कीर्तन या भजन या भगवान का नाम लिया जा सकता है। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

नहाते समय इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ रहता है...
मंत्र: गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

नदी में नहाते समय पानी पर ऊँ लिखें
यदि कोई व्यक्ति किसी नदी में स्नान करता है तो उसे पानी पर ऊँ लिखकर पानी में तुरंत डुबकी मार लेना चाहिए। ऐसा करने से नदी स्नान का पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है। इस उपाय से ग्रह दोष भी शांत होते हैं। यदि आपके ऊपर किसी की बुरी नजर है तो वह भी उतर जाती है।

Thursday, 2 July 2015

..तो कुंडली में मंगल के ऐसे दोष नही रहेंगे

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मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का सेनापति माना गया है। इसी वजह से इसका प्रभाव भी काफी अधिक होता है। मंगल किसी भी व्यक्ति का स्वभाव पूरी तरह प्रभावित करता है। अगर यह किसी कुंडली में शुभ होता है तो वह व्यक्ति बहुत अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त करता है लेकिन मंगल अशुभ हो या नीच राशि में होता है तो उसका जीवन परेशानियों से भरा रहता है।


कुंडली के किस भाव में मंगल कितना अशुभ-


-कुंडली में मंगल प्रथम भाव में हो तो वह व्यक्ति साहसी, मूढ़, अल्पायु, अभिमानी, शूर, सुंदररूप वाला और चंचल होता है।

- किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल चौथे घर में हो तो वह वस्त्र और भाई-बंधु से

हीन, वाहन रहित और दुखी होता है।

-जन्मकुंडली में सप्तम भाव में मंगल हो तो वह व्यक्ति रोगी, गलत कार्य करने वाला,

दुखी, पापी, निर्धन और पतले शरीर वाला होता है।

- मंगल अष्टम में होता है गरीब, कम उम्र का और दुखी रहने वाला होता है

- कुंडली के बाहरवें भाव में मंगल हो तो वह व्यक्ति आंखों का रोगी और चुगलखोर होता है। ऐसा व्यक्ति के जीवन में जेल भोगने के भी योग बन सकते हैं।


मंगल दोष मिटाने के उपाय-

- हर मंगलवार को शहद खाएं।

- 12 मंगलवार तक गुड़ पानी में बहाएं।

- हर मंगलवार को हनुमान मंन्दिर में लड्डू का प्रसाद चढ़ाए और बांटे।

- कुत्तों को मिठी रोटीयां खिलाएं।

- बताशे पानी में बहाएं।

- 7 मंगलवार तक दूध में चावल धोकर पानी में बहाएं।

- बंदरों को चने खिलाएं।